5 Essential Elements For Shodashi

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

It was right here far too, that the great Shankaracharya himself set up the impression of the stone Sri Yantra, perhaps the most sacred geometrical symbols of Shakti. It could nevertheless be viewed nowadays in the inner chamber on the temple.

Goddess is commonly depicted as sitting around the petals of lotus that is saved to the horizontal body of Lord Shiva.

The Chandi Path, an integral Component of worship and spiritual observe, Particularly all through Navaratri, will not be basically a textual content but a journey in itself. Its recitation is a robust tool within the seeker's arsenal, aiding from the navigation from ignorance to enlightenment.

Shiva once the death of Sati had entered into a deep meditation. Without the need of his Electrical power no development was probable and this triggered an imbalance while in the universe. To bring him from his deep meditation, Sati took beginning as Parvati.

उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की get more info इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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